कुछ सपनों के मर जाने से जीवन नहीं मरा करता है .....
जिन पंक्तियों से मैं प्रेरणा लेता हूं
उनमें नीरज की ये पंक्तियां सबसे उपर के सफे पर लिखी हैं .... अभी अचानक इस पंक्ति
की क्या प्रासंगिकता बनती है , यह जानना
है तो पोस्ट के पूरा पढ़ना होगा..... उसके बाद उस पर प्रतिक्रिया लिखने के बारे
में निवेदन करना हम यू-ट्यूबर्स की आदत है .... खैर विषय पर आएं ...... जीवन में हम
सफलता के किस्से क्सर सुनते और पढ़ते हां मगर असफलताओं के किस्से या उनके पीछे के
दर्द को बांटने वाला कोई नहीं होता...... पिछले दिनों एक क्रिकेटर रिंकू सिंह के
पांच छक्कों ने दरअसल मुझे यह पोस्ट लिखने की प्रेरणा दी है ...... वह बंदा छाया
हुआ है ..... जबरदस्त ...... उन छक्कों से पहले उसे कोई नही जानता था ...... या
शायद बहुत कम लोग जानते थे .... इससे उसकी प्रतिभा मे कोई कमी या बढ़ोंतरी हो गई
ऐसा नहीं है ..... मगर मौके में चौका छोड़ो उसने तो छक्का मार दिया ...... बस फिर
क्या था ..... बन गया हीरो ....... पूरा मीडिया ..... सारे चैनल .... सारे अखबार सबमें
रिंकू ही रिंकू....... मेरी ओर से भी उसे बधाई ..... मगर शायद ही किसी ने उस
गेंदबाज की चर्चा की होगी जिसने पूरी मेहनत और कौशल के उपयोग के बावजूद उन छक्कों
को रोक पाने में सफलता नहीं पाई ..... हममें से शायद ही किसी को उस गेंदबाज का नाम
याद होगा .......मुझे भी नहीं था ...... उगते सूरज को सलाम करने की परम्परा जो है
..... इतिहास और भूगोल तो हमें रिकूं का खंगालना था .... इसलिए यह याद भी नही रहा
कि उस गेंदबाज का नाम क्या था .....गुजरात
टाइटनस के इस गेंदबाज का नाम है यश दलाल .... ... हम असफल लोगों के बारे में नहीं
पढना चाहते .... मगर मैं शुरु से ही ऐसी ही कहानियों के तलाश में रहता हूँ कि लोग
असफल हैं .... मगर काबिलियत की कमी नहीं ..... अवसर कभी मिल नहीं पाते ..... कभी
एन मौके पर चूक जाते हैं ..... कभी तकदीर तो कभी कुछ ..... ऐसी कहानियां जीवन जीने
का साहस देती है ....... इन दिनों कुछ मीडिया में ऐसी कहानियां पढने का मौक मिल
रहा है जो मेरी दृष्टि में सकारात्मक पहल है ...... इसके लि लल्लनटाप जैसी वेबसाइट
को मैं नियमितरुप से पढ़ता सुनाता हूँ ......... यह जानकारी भी वहीं से जुटाई गई
है ...... इस खबर में यश दलाल की मानसिक अवस्था और उसके अपे पिता से हुई बातचीत ,
टीम के सदस्यों की सांत्वना ...... सभी बातों पर चर्चा हुई है ....... ऐसे लेख और
होने चाहिए ........ मेरी दृष्टि में ऐसे लेख ज्यादा प्रेरणास्पद हो सकते
हैं......
गणित का विद्यार्थी हूं इसलिए थोड़ा आंकड़ों
पर तथ्यों को समझने की कोशिश करता हूँ .....
देश की सबसे बड़ी परीक्षा सिविल सेवा की
परीक्षा होती है ...... लाखों लोग बैठते है लगभग 1000 ही सफल होते हैं ......मगर
साक्षात्कार तक पहुंचने वालो की संख्या तीन गुना भी मान लें तो क्या वे नाकाबिल थे
..... नही न ..... बस वक्त-वक्त की बात है ....... यह समुदाय ज्यादा बड़ा है .....
उसने जीवन में सफलता को पास से गुजरते देखा है ..... बावजूद उसके जी रहे हैं और एक
नई उम्मीद को पाल रहे हैं ...... मेरे लिए ये ज्यादा बड़े हीरो है ....... इस पर
बी लल्लनटाप की ही एक स्टोरी याद आती है जिसमें विगत वर्ष के सिविल सेवा के परिणाम
के बाद एक युवक की ट्विटर पोस्ट के आधार पर एक शानदार स्टोरी छापी थी ( युवक का
नाम रजत सांब्याल) रजत सांब्याल सिविल सेवा की परीक्षा में मात्र 11 अंकों से चूके
थे जो उनका छटवा और अंतिम प्रयास था...... अपनी असफलता को भी उन्होंने खुद पर हावी
न होने देकर एक ट्वीट किया और चर्चे में आए ..... मीडिया ने उन पर लिखा भी था ....
ऐसी कहानियां और लिखी जानी चाहिए ..... इस पोस्ट के साथ मैनें दोनों का स्क्रीन
शाट शेयर किया है ..... इन खबरों से असफल युवाओं को भी लगता है कि सितारों से आगे
जहां और भी है ........इसलिए आप भी अपने आसपास की ऐसी प्रतिभाओं को पूरा सम्मान
दें जो किन्ही कारणों से इच्छित या लक्षित
स्थान पर नहीं पहुंच पाए मगर प्रतिभा उनमें भी कम न थी ..... और ऐसे युवा भी निराश न होवें ...... क्योंकि उन
लोगो के लिए ही नीरज जी ने लिखा है ......
छिप-छिप अश्रु बहाने वालो !
मोती व्यर्थ बहाने वालो !
कुछ सपनों के मर जाने से जीवन नहीं मरा करता है।
सपना क्या है? नयन सेज पर
सोया हुआ आँख का पानी,
और टूटना है उसका ज्यों
जागे कच्ची नींद जवानी
गीली उमर बनाने वालो।
डूबे बिना नहाने वालो !
कुछ पानी के बह जाने से सावन नहीं मरा करता है।

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