माता कौशल्या मंदिर चंदखुरी रायपुर
रामायण कालीन अनेक प्रसंग छत्तीसगढ़ से जुड़े हैं , इनमें से ही एक है माता कौशल्या का मंदिर, जो चंदखुरी में स्थित है .......मान्यताओं की बात करें तो छत्तीसगढ़ में चंदखुरी को भगवान श्री राम का ननिहाल कहा जाता है ......... कहा जाता है कि माता कौशल्या का जन्म यहीं हुआ था ।
माता
कौशल्या के नाम पर यहां एक मंदिर स्थापित है , कहा जाता है कि इसका निर्माण 10वीं शताब्दी में किया गया था.......पहले यह मंदिर उतना अधिक चर्चा में
नहीं था ..... एक तालाब के बीचों-बीच स्थापित इस मंदिर तक जाना भी मुश्किल हुआ
करता था ।
जब
सरकार की ओर से राम वनगमन पथ की संकल्पना सामने आई तब इस मंदिर का सौंदर्यीकरण हुआ
और पहुंच मार्ग जैसी कुछ सुविधाए बढ़ीं.... आज तो यह मंदिर एक दर्शनीय स्थल का रुप
ले चुका है और लोग दूर-दूर से इसे देखने आते हैं ........
जब
आप रायपुर शहर से बलोदाबाजार की ओर आते हैं तो छत्तीसगढ़ विधान सभा के पास दायीं
ओर आपको इसके दिशा निर्देश मिल जाएंगे ..... इसी मोड़ पर लगभग 10 किमी की दूरी पर
गांव चंदखुरी है और वहीं मुख्य सड़क पर ही यह मंदिर स्थापित है ......... काफी दूर
से ही आपको भगवान राम की विशाल प्रतिमा नजर आने लगेगी जो एक तरह से यहां के लिए
संकेतक है कि आप मंदिर तक पहुंच गए हैं ।
राजधानी
के करीब बने इस प्राचीन मंदिर को सौंदर्यीकरण
के बाद बेहद खूबसूरत रुप दे दिया गया है ...........यह मंदिर तालाब के बीचों बीच
बना हुआ है और आस पास जहां तक देखें वहां खूबसूरत दृश्य ही दिखाई देता है......
तालाबों का भी यहां अपना ही इतिहास है ..... एक ग्रामीण से पूछने पर यह पता चला कि
पहले इस गांव में 6 आगर 6 कोरी गांव थे ...... चौंक गए न आप इस आंकड़े को सुनकर .....
दरअसल छत्तीसगढ़ में गांव-देहात में गिनती की अपनी शैली है यहां छत्तीसगढ़ी में
कोरी को मतलब बीस होता और और आगर शब्द का मतलब ज्यादा ..... तो इस जवाब को डिकोड
करते हुए उसके केलकुलेशन को समझते हैं
6
आगर मतलब 6 ज्यादा और 6 कोरी मतलब 6 गुना
20 यानी 120 .... तो कुल मिलाकर देखें तो 126 (6x20+6=120) तालाब होने की बात उस ग्रामीण
ने बताई ..... उसका कहना था कि समय के साथ-साथ तालाबों की संख्या भी कम होती गई
मगर आज भी 50-60 तालाब गांव और उसके आसपास होने का दावा उस ग्रामीण ने किया ।
वापस
लौटते हैं मंदिर की ओर ...... मंदिर के प्रांगण में एक सुंदर बागीचा भी बनाया गया
है. वहीं तालाब में समुद्र मंथन के दृश्य को भी दर्शाया गया है. मंदिर परिसर छोटे-बड़े
और भी मंदिर स्थापित है जिनमें हनुमान जी और नंदी महाराज शिवजी की प्रतिमाएं भी
हैं.......... प्रभु श्री राम की भव्य प्रतिमा प्रवेश द्वार पर ही स्थापित है ।
अगर इस मंदिर और उससे जुड़ी
कहानियों या मान्याताओं की बात करें तो बताया
जाता है कि महाकौशल के राजा भानुमंत की बेटी कौशल्या का विवाह अयोध्या के राजा
दशरथ से हुआ था. विवाह में भेंटस्वरूप राजा भानुमंत ने बेटी कौशल्या को 10,000
गांव दिए थे. इसमें उनका जन्म स्थान चंद्रपुरी भी शामिल था. चंदखुरी का ही प्राचीन
नाम चंद्रपुरी था. जिस तरह अपनी जन्मभूमि से सभी को लगाव होता है ठीक उसी तरह माता
कौशल्या को भी चंद्रपुर विशेष प्रिय था..... मान्यता के अनुसार, सोमवंशी राजाओं द्वारा बनाई गई मूर्ति आज भी चंदखुरी के मंदिर में मौजूद
है. मंदिर में भगवान श्री राम को गोद में लिए हुए माता कौशल्या की मूर्ति स्थापित
है. भगवान राम के वनवास से आने के बाद उनका राज्याभिषेक किया गया. उसके बाद तीनों
माताएं कौशल्या, सुमित्रा और कैकयी तपस्या के लिए चंदखुरी ही
पहुंचीं थीं...... आज यह स्थान एक धार्मिक एवं पर्यटन स्थल के रुप में विकसित हो
चुकी है ।
इस परिसर और उसकी खूबसूरती से
जुड़ा एक वीडियो का लिंक नीचे दिया जा रहा है आप उसे देख सकते है ।
https://youtu.be/Avu0wa1siTU?si=IfYznjR1uN67lC6A
कैसे पहुंचे
– यहां तक पहुंचने क् लिए हवाई मार्ग के द्वारा आने पर आपको निकटतम एयरपोर्ट
रायपुर में मिलेगा जहा से आप टैक्सी करके आसानी से पहुंच सकते हैं , रेलमार्ग या
बस मार्ग से भी आप यदि रायपुर पहुंचता है
तो आपको रेल्वे स्टेशन या बस स्टेशन में टैक्सी या आटो की सुविधा मिल जाएगी।
कब आएं –
कुछ विशेष पर्वों पर ( जैसे रामनवमी, दीपावली, दशहरा आदि ) यहां अधिक भीड़ रहती है
अन्यथा सामान्य दिनों में आप किसी भी ऋतु में यहां आ सकते हैं ।






