बादलों का प्रदेश मेघालय
भारत विविधताओं का देश
है ........ यहां कदम-कदम पर आपको नए संस्कार-नई मान्यताएं और नए रिवाज देखने
सुनने को मिल जाएंगे ......... मजे की बात यह है कि लोग इन परंपराओं को शिद्दत से
मान भी रहे हैं ........ आज हम बात करेंगे एक ऐसे ही इलाके की जिसे कहते हैं मेघालय
...........उत्तर पूर्व के जिन क्षेत्रों
की बातें ज्यादा होती है उनमें मेघालय कहीं छूट जाता है .........मेघ+आलय = मेघालय
...... इतना ही काफी है यह बताने के लिए कि मेघालय को मेघों का घर कहा जाता है .........बादलों से
घिरा रहने के कारण यहां रातें अक्सर बहुत ठंडी होती हैं........
मेघालय का भौगौलिक
क्षेत्र मूलतः तीन भागों में बंटा है........खासी
हिल्स ......जैंतिया हिल्स और .....गारो हिल्स...........मेघालय के ज्यादातर दर्शनीय
स्थल खासी और जैंतिया हिल्स में ही हैं,
गारो हिल्स में पर्यटन का कोई ज्यादा स्कोप नहीं दिखाई
पड़ता है............. अब बात करते हैं कुछ तथ्यों एवं मान्यताओं की
भारत मे शायद मेघालय
ही एकमात्र ऐसा राज्य होगा जहां महिलाओं को पुरुषों से ज्यादा अधिकार है...........
यहां की परंपरा के अनुसार शादी के बाद पुरुष अपना घर छोड़ के लड़की के घर रहने चला
जाता है ..........पुरुष के ऊपर घर को संभालने की जिम्मेदारी होती है आपको याद है
की और का फिल्म ..... बस ठीक उसी तरह ....... वो हर काम जो आम तौर पर दूसरे
क्षेत्र में महिला अपने घर मे करती है, मेघालय में यह जिम्मेदारी पुरुष की होती है .......यहां पर
मातृसत्तात्मक परिवार का चलन है ।
घर चलाना है तो पैसा
चाहिए ऐसे में शादी क बाद यह जिम्मेदारी
महिला की होती है.........बच्चों के नाम के पीछे पिता का नही बल्कि माँ का नाम
लिखा जाता है........ माँ की प्रॉपर्टी में सबसे बड़ा भाग सबसे छोटी बेटी के हिस्से
में आता है...... अनोखे मगर दमदार रिवाज हैं यहां ..... अगर एक से ज्यादा बेटी हो
तो सबसे छोटी बेटी के अलावा उनमे भी संपत्ति का बंटवारा कर दिया जाता है ।
मायके की परंपरा वहां
भी है इसलिए ........साल के एक महीने में शादी शुदा पुरुष अपने घर में रहने के लिए
जाता है ठीक उसी तरह जैसे इस क्षेत्र में महिलाए शादी के बाद अपने मायके को जाती हैं......अनेक
रोचक संस्कारों और मान्यताओ के बीच मेघालय का अपना सौंदर्य है जो किसी को भी
लुभाने के लिए काफी है .....
शादियों पर यहां के
अपने कायदे हैं मजेदार बात यह है कि यहां अरेंज मेरिज का कोई चलन नहीं है
......... खासी,
जैंतियाऔर गारो तीनों
समुदाय में ऐसी कोई व्यवस्था नहीं है सच कहें तो पूरे मेघालय में अरेंज मैरिज का कोई
रिवाज नहीं देखने मिलता ........... यहाँ सिर्फ प्रेम विवाह का ही चलन है .......
मगर इसे भी आप इतना
आसान मत समझिए ....... मेघालय की लड़की सिर्फ अपने समुदाय यानी खासी,
जैंतिया या गारो लड़के से ही विवाह कर सकती है...............औऱ
यहां पर थोड़ा महिलाओं के हाथ से अधिकार कम कर दिए गए हैं और विवाह के लिए लड़की को
अपनी पसंद का लड़का चुनने की आजादी नहीं दी गई है यहअधिकार सिर्फ लड़के के पास होता
है........ सिर्फ लड़का ही लड़की को प्रपोज़ कर सकता है, लड़की की सहमति पर ही शादी हो पाएगी अन्यथा नहीं ..........
लड़का के लिए छूट है कि वह जितनी चाहे लड़कियों
को प्रपोज़ल दे सकता है मगर लड़की पूरी उम्र किसी लड़के को प्रपोज़ नही कर सकती........
यहां दहेज लेने-देने की परंपरा नहीं है ।
भारत की विविधता ही यहां की ताकत है ...... हमें इस
समृद्ध संस्कृति को संजो कर रखना है ..... कितना भी समाज आगे चले जाए..... तकनीक
का कब्जा हो जाए...... मगर ये पुरानी परंपराओं को जीवित रखना भी जरुरी है ......
ये हमें मनुष्य बनने में सहायता प्रदान करती है ...... संस्कार और परंपरा समय के
साथ बदलती हैं मगर उनमें यदि ठहराव आ जाए तो हमें उनका सम्मान भी करना चाहए और उनको संजो कर रखना चाहिए......
आप पढ़ रहे थे प्रमोद
को .......

