त्वमेव सर्वमम्
मुझे याद आता है काफी पहले मैनें एक थियेटर में डान-2 देखी थी , अब तो वह थियेटर भी बंद हो गया है .... शाहरुख खान उसमें मुख्य भूमिका में थे , अमिताभ की फिल्म की रीमेक थी .... वह मेरी आखिरी फिल्मथी थियेटर में जाकर देखने की ..... उसके बाद मैने कोई फिल्म थियेटर में जाकर नहीं देखी ... कुछ कारण हैं जो शायद मुझे इससे रोकते हैं ... मगर इसका मतलब मैनें फिल्में देखना छोड़ दिया हो ऐसा नहीं है .... अच्छी फिल्में आज भी देखता हूँ .... अच्छी का मतलब कोई क्लासिकल से नही है मुझे फिल्म में मनोरंजन और गंभीरता दोनों पसंद हैं .... कुछ फिल्में तो मैं केवल टाइम पास के लिए ही देखता हूँ ..... जेठालाल वाला सीरियल मुझे खूब भाता है ... कोई टेंशन नहीं बस हंसते रहिए .... कहां कोई ऐसी रचनाएं बनाता है ......
खैर मैं एक दूसरी बात कर रहा था ...... इन दिनों जी सिनेमा में एक फिल्म आपको मिल जाएगी ..... नाम है त्वमेव सर्वमम्..... इसकी अवधि कोई 30-35 मिनट की होगी ..... शानदार फिल्म है ..... समय निकलकर देख लीजिए..... अगर आप पिता है तब तो जरुर देखिएगा ...... एक पिता अपने बच्चे को हारते हुए रेस में जीता सकता है और जीतते हुए को हरा सकता है ........ पिता में बड़ी ताकत होती है ....... यह वाक्य इस फिल्म से ही है ..... बहुत संवेदनशील बात .... आसान लहजे में ....... कोई हीरो-हीरोइन वाला चक्कर नहीं है इसमें ..... सीधे मुद्दे की बात की है ....... कलाकार में संजय मिश्रा ...... अरे वही ..... गोलमाल वाले .... धोंडू... जस्ट चिल ...... याद आ गया होगा आपको ..... पिता की भूमिका उन्होंने ही निभाई है ....... बेटे को इस कदर उत्साहित करता है कि कलेक्टर बनाकर दम लेता है ..... पिता का पुत्र पर विश्वास और पुत्र का पिता के प्रति सम्मान ...... दोनों इस फिल्म मे जरा भी बनावटी नहीं लगते ....... कोई लंबी चौड़ी बात नहीं है ........ हां इस फिल्म का क पंच लाइन बहुत रिझाता है ..... हर परिवार में एक “टर” होना चाहिए ..... कलेक्टर... डाक्टर...कितना सीधा सा संवाद है .....
न तो कोई बैकग्राउंड म्यूजिक का शोर है .... न नाच-गाना.... बस सीधे कहानी ..... गांव का सीन भी सचमुच का गांव लगता है ..... एक स्कूल का दृश्य है जो वाकई किसी सरकारी स्कूल में चल रही कक्षा की याद ताजा कर देता है .......
देखने के लिए इसमें बहुत कुछ है .... बसनजर होनी चाहिए
मेरी सलाह है एक बार
देख लीजिए ..... कहानी साझा करना सही नहीं ....इसलिए मुद्दों की बातही लिखी है
.....
आप पढ़ रहे थे प्रमोद
को

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