कोरियामहल
कोरियामहल-छत्तीसगढ़ मे प्राकृतिक संपदा से भरपूर इलाका है कोरिया , प्राचीन राजघराने का बैभव बरबस ही आपको इस क्षेत्र में खींच लेताहै। कोरिया अपन आप में एक पुरानी रियासत थी इसलिए यहां ऐतिहासिक, धार्मिक व पुरातात्विक धरोधर बिखरे हुए हैं यहां पर जिला मुख्यालय बैकुंठपुर में कोरिया पैलेस है जिसको देखने पर्यटक दूर-दूर से आते हैं । यह महल कोरिया पैलेस के नाम से ही जाना जाता है । कहते हैं कि सन् 1923 में कोरिया के इस पैलेस का डिजाइन तैयार किया गया था तब नागपुर के एक इंजीनियर ने इसका डिजाइन बनाया था और इसके एवज में उसे उस वक्त सात हजार रुपये का भुगतान किया गया था ,इसके बाद करीगरों द्वारा राजमहल का ग्राउण्ड फ्लोर बनाया गया जो सन् 1930 में बनकर तैयार हुआ ।
अब बारी आती है प्रथम तल की , तो बता दें कोरियामहल का उपरी हिस्सा 1938 में बन पाया और होते होते सन् 1946 में पैलेस बनकर पूर्णरुपेण तैयार हो गया था। इस पैलेस की खासियत है कि पूरे महल के निर्माण चूने से किया गया है ,चूने की जुड़ाई से ही पूरे महल की बुनियाद टिकी है। कुछ जानकारों का कहना है कि सन् 1934 में भूकंप आया था, जिसकी वजह से इस पैलेस में कुछ दरारें आई थीं लेकिन राजमहल में राजा के अलावा किसी और के आने जाने की अनुमति नहीं है इस कारण से राजमहल में भूकेप से आई दरार के पुख्ता प्रमाण नही दिये जा सकते है।
इस महल के बारे में कुछ जानकार यह भी बताते है कि अकाल के कारण लोगों के पास खाने को अन्न की तंगी थी जिसके चलते राजा ने इस महल का निर्माण कार्य शुरु करवाया ताकि लोगों को काम मिल सके और काम क बदले अनाज मिलने से उनका घर परिवार भी ठीक ढंग से चल सके ,तत्कालीन महाराजाओं का जनता के प्रति कर्तव्यबोध का एक अप्रतिम उदाहरण है कोरियामहल




