घमंड क्या है?
बस कुछ उंचाई पर पहुंच जाना
फिर इतराना
मानों सब तुम्हारे नीचे है
ऐसा नहीं है, वो बस आंखें मीचे हैं
चार कदम पहाड़ के उपर चढ़कर चिढ़ाते हो
उंगली दिखाते हो, ....
कभी सूरज से मिलना,
गरम बहुत है, मगर रोज शाम ढल जाता है
धूप कितनी भी तेज हो, समंदर नहीं सूखा पाता है...