प्रकृति में पूजनीय है नारी...
यह रुतबा उसने यूं ही नहीं हासिल किया है....
जननी होने का सौभाग्य भी उसे ही दिया ईश्वर ने
इन सबके बाद भी नारी को समझना मुश्किल है...
औरत हमेशा unpredictable लगती है मुझे....
प्रेम में अगर आपको लग रहा कि वो आपसे पूरी तरह खुश है तो आप शायद गलतफहमी में हैं...
वो संतुष्ट नहीं होती
ये उनके मूल में ही नहीं है...
मान लें, आप बहुत ज्यादा केयर करते है.....उसका ध्यान रखते हैं तो वह उससे भी ऊब जाएगी......सच में..
यह भी देखिए अगर आप बहुत Agressive Type के हैं तो वो आपसे दूर जा सकती है...
अगर आप बहुत ज्यादा Humble हैं तो वो उसे लगेगा इसमें दम नहीं....शायद चिढ़ भी जाए....
आप Talketiv हैं तो वो आपसे बोर हो जाएगी.....आपको भाव भी नहीं देगी.....
आप कम बात कर रहे हों हैं तो उसको शक होगा कि आपका चक्कर कहीं और चल रहा है...
मतलब मेरा यह है कि आप कुछ भी कर लीजिए वो संतुष्ट नहीं हो सकती...
ये उसकी गलती नहीं ....यह उसका स्वभाव है...जो प्रकृति प्रदत है..... ईश्वर ने उसे ऐसे ही बनाया है.......वो सर्जक है.... सर्जक संतुष्ट नहीं हुआ करते.... वरना शायद सृजन रूक जाएगा.....
कभी उनकी खरीददारी पर गौर करना....कपड़ा खरीदने जाती है तो कहती कि इसी कलर में कोई दूसरा डिजाइन दिखाओ, इसी डिजाइन में कोई दूसरा कलर दिखाओ......मतलब संयोजक के लाले पड़े हैं
बडी खोजबीन के बाद एक पसंद आ भी गया, तो भी संतुष्ट नहीं हो सकती...आखिरी तक सोचती है कि इसमे ये डिजाइन ऐसे होता तो परफैक्ट होता...
इन सबके बावजूद एक बहुत बड़ी विशेषता है नारी में.....जो उसे अलग बनाती है.....
जो कुछ उसे एक बार पसंद आ गया तो उसे जीवन भर सहेज कर रखती है....क्या कपड़े.... क्या गहने.....क्या रिश्ते....
फटने के बाद भी कपड़ा उसकी अलमारी में कहीं न कहीं रखा मिल जाएगा......पुराना हो जाए तो भी गहना लाकर में रहेगा.....और रिश्ते.....परलोक भी चले जाएं तो भी वो निभाना नहीं छोड़ती....
नारी तुम सचमुच श्रद्धा हो....
आप पढ़ रहे थे प्रमोद को (अपने ही फेसबुक पेज से लिया गया )
